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सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

 
 
 *आप चाय पीते हैं तो जरूर पढ़ें, फायदा करता है कि नुकसान?*

*दो सौ वर्ष पहले भारतीय घरों में चाय नहीं होती थी। पहले घर अतिथि आते थे तो देशी गाय का दूध-लस्सी आदि दिया जाता था लेकिन आज कोई भी घर आये अतिथि को पहले चाय पूछते हैं। ये बदलाव अंग्रेजों की देन है। कई लोग घर, दुकान, ऑफिस या यात्रा के दौरान दिन में कई बार चाय लेते रहते हैं, यहाँ तक कि उपवास में भी चाय लेते हैं! किसी भी डॉक्टर के पास जायेंगे तो वो शराब-सिगरेट-तम्बाखू छोड़ने को कहेगा, पर चाय नहीं, क्योंकि यह उसे पढ़ाया नहीं गया और वह भी खुद चाय के गुलाम हैं। परन्तु किसी अच्छे वैद्य के पास जाओगे तो वह पहले सलाह देगा चाय ना पियें।*

*चाय और कॉफी में दस प्रकार के जहर होते हैं ।*

★टैनिन :  यह विष 18 प्रतिशत होता है । यह पेट में छिद्र और वायु उत्पन्न करता है ।

★‘थिन’ : यह विष 3 प्रतिशत होता है । इसके कारण मानसिक विकार उत्पन्न होते हैं तथा यह विष फेफडों और मस्तिष्क में जड़ता की निर्मिति करता है ।

★‘कैफिन’ : यह विष 2.75 प्रतिशत होता है । यह गुरदों (किडनियों) को दुर्बल बनाता है ।

★‘वॉलाटाइल’ : यह विष, हानि आंतों को पहुंचाता है ।

★‘कार्बोनिक अम्ल’ : अम्लपित्त (एसिडिटी) बढ़ाता है ।

★‘पैमिन’ : पाचनशक्ति को दुर्बल करता है ।

★‘एरोमोलीक’ : आँतों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है ।

★‘सायनोजन’ : अनिद्रा और पक्षाघात जैसे भयंकर रोग उत्पन्न करता है ।

★‘ऑक्सेलिक अम्ल’ : शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक होता है ।

★‘स्टिनॉयल’:  रक्तविकार और नपुंसकता उत्पन्न करता है । इसीलिए चाय अथवा कॉफी का सेवन कभी नहीं करना चाहिए ।

*चाय कितना नुकसान पहुंचाता है?*

*हमारे गर्म देश में चाय और गर्मी बढ़ाती है, पित्त बढ़ाती है। चाय के सेवन करने से शरीर में उपलब्ध विटामिन्स नष्ट होते हैं। इसके सेवन से स्मरण शक्ति में दुर्बलता आती है। - चाय का सेवन लिवर पर बुरा प्रभाव डालता है।*

*चाय से भूख मर जाती है, दिमाग सूखने लगता है, गुदा और वीर्याशय ढीले पड़ जाते हैं। डायबिटीज़ जैसे रोग होते हैं। दिमाग सूखने से उड़ जाने वाली नींद के कारण आभासित कृत्रिम स्फूर्ति को स्फूर्ति मान लेना, यह बड़ी गलती है। चाय-कॉफी के विनाशकारी व्यसन में फँसे हुए लोग स्फूर्ति का बहाना बनाकर हारे हुए जुआरी की तरह व्यसन में अधिकाधिक गहरे डूबते जाते हैं। वे लोग शरीर, मन, दिमाग और पसीने की कमाई को व्यर्थ गँवा देते हैं और भयंकर व्याधियों के शिकार बन जाते हैं।*

*चाय का सेवन रक्त आदि की वास्तविक उष्मा को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।*

*चाय में उपलब्ध कैफीन हृदय पर बुरा प्रभाव डालती है, अत: चाय का अधिक सेवन प्राय: हृदय के रोग को उत्पन्न करने में सहायक होता है।*

*जो लोग चाय बहुत पीते हैं उनकी आंतें जवाब दे जाती हैं।कब्ज घर कर जाती है और मल निष्कासन में कठिनाई आती है।चाय पीने से कैंसर तक होने की संभावना भी रहती है।*

*चाय पीने से अनिद्रा की शिकायत भी बढ़ती जाती है।न्यूरोलाजिकल गड़बड़ियां आ जाती हैं। चाय में उपलब्ध यूरिक एसिड से मूत्राशय या मूत्र नलिकायें निर्बल हो जाती हैं, जिसके परिणाम स्वरूप चाय का सेवन करने वाले व्यक्ति को बार-बार मूत्र आने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।और दांत भी खराब होते हैं। अधिक चाय पीने से खुश्की आ जाती है।*

*यह सावधानी अवश्य रखें*

*रेलवे स्टेशनों या टी स्टालों पर बिकने वाली चाय का सेवन यदि न करें तो बेहतर होगा क्योंकि ये बरतन को साफ किये बिना कई बार इसी में चाय बनाते रहते हैं जिस कारण कई बार चाय विषैली हो जाती है। चाय को कभी भी दोबारा गर्म करके न पिएं तो बेहतर होगा। बाज़ार की चाय अक्सर अल्युमीनियम के भगोने में खदका (उबाल) कर बनाई जाती है जो बहुत नुकसान करता है। कुछ जगह पर तो दूध भी कलर से बनाकर उसकी चाय बनाई जाती है जो शरीर को अत्यंत नुकसान पहुँचाती है।*

*कई बार हम लोग बची हुई चाय को थरमस में डालकर रख देते हैं इसलिए भूलकर भी ज्यादा देर तक थरमस में रखी चाय का सेवन न करें। जितना हो सके चायपत्ती को कम उबालें तथा एक बार चाय बन जाने पर इस्तेमाल की गई चायपत्ती को फेंक दें।*

*चाय-कॉफी को हमेशा के लिए त्याग दें क्योंकि चाय के हर कप के साथ एक या अधिक चम्मच शक्कर ली जाती है जो वजन बढ़ाती है और अनेक बीमारियां बुलाती है। अगर पीनी ही पड़ी तो गुड़, नीबू मिलाकर काली चाय पीएं, शक्कर और दूध नही मिलाएं। चाय के साथ नमकीन, खारे बिस्कुट ,पकौड़ी आदि लेते हैं, यह विरुद्ध आहार है। इससे त्वचा रोग होते हैं।*

*चाय का विकल्प*

*संकल्प कर लें कि चाय नहीं पियेंगे।  दो दिन से एक हफ्ते तक याद आएगी ; फिर सोचोगे अच्छा हुआ छोड़ दी। एक दो दिन सिर दर्द हो सकता है।*

*सुबह ताजगी के लिए गर्म पानी लें, चाहे तो उसमें आंवले के टुकड़े मिला दें तो और स्फूर्ति आ जाएगी।*

*तुलसी पत्ते, गुड़ और नींबू मिलाकर चाय बनाकर पियें तो चाय की लत भी छूट जाएगी और शरीर निरोग होने लगेगा।*

*चाय की जगह देशी गाय के दूध का उपयोग करना चाहिए इससे स्वास्थ्य में चार चांद लग जायेंगे और सभी बीमारियां भाग जाएंगी।*

Pyaj khana kiyo mana hai ?

 
*प्याज़ खाना क्यों मना!?!*    
(कृपया पोस्ट पूरी पढ़ें; ये जानकारी अन्य कहीं कहीं मिलेगी)

शाकाहार होने तथा चिकित्सीय गुण होने के बावजूद साधकों हेतु प्याज-लहसुन वर्जित क्यों है, इसपर विस्तृत शोध के कुछ बिंदु आपके समक्ष रख रहा हूं!....
1) एक बार प्याज़-लहसुन  खाने का प्रभाव देह में 27 दिनों तक रहता है,और उस दौरान व्यक्ति यदि मर जाये तो नरकगामी होता है!ऐसा शास्त्रों में लिखा है! प्याज़ की उत्पत्ति कुत्ते के अंडकोष से है,और लहसुन की कुत्ते के नख से!इसलिए प्याज़-लहसुन खानेवाला कुत्ते के मांस को पकाकर खाने वाले के समतुल्य माना जाता है!

2) प्याज़ का सेवन करने से 55 मर्म-स्थानों में चर्बी जमा हो जाती है, जिसके फलस्वरूप शरीर की सूक्ष्म संवेदनाएं नष्ट हो जाती हैं!

3) भगवान के भोग में, नवरात्रि आदि व्रत-उपवास में ,तीर्थ यात्रा में ,श्राद्ध के भोजन में और विशेष पर्वों पर प्याज़-लहसुन युक्त भोजन बनाना निषिद्ध है, जिससे समझ में आ जाना चाहिए कि प्याज-लहसुन दूषित वस्तुएं हैं!

4)कुछ देर प्याज़ को बगल में दबाकर बैठने से बुखार चढ़ जाता है! प्याज काटते समय ही आंखों में आंसू आ जाते हैं, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि शरीर के भीतर जाकर यह कितनी अधिक हलचल उत्पन्न करता होगा!?!

5) हवाई-जहाज चलाने वाले पायलटों को जहाज चलाने के 72 घंटे पूर्व तक प्याज़ का सेवन ना करने का परामर्श दिया जाता है, क्योंकि प्याज़ खाने से तुरंत प्रतिक्रिया देने की क्षमता(Reflexive ability) प्रभावित होती है!

6) शास्त्रों में प्याज़ को "पलांडू" कहा गया है! याज्ञवल्क्य संहिता के अनुसार प्याज एवं गोमांस दोनों के ही खाने का प्रायश्चित है--- चंद्रायण व्रत!(इसीलिए श्री जटिया बाबा प्याज़ को गो मांस तुल्य बताते थे!)

7)  लैबोरेट्री में टेस्ट करने पर भी प्याज़ और लहसुन में क्रमशः गंधक और यूरिया प्रचुर मात्रा में मिलता है, जो क्रमशः मल मूत्र में पाया जाता है!

😎 एक अन्य कथा के अनुसार,भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार द्वारा राहूकेतू का सिर काटे जाने पर उसके कटे सिर से अमृत की कुछ बूंदे ज़मीन पर गिर गईं थीं,जिनसे प्याज़ और लहसुन उपजे! चूंकि यह दोनों सब्जियां अमृत की बूंदों से उपजी हैं, इसलिए यह रोगों और रोगाणुओं को नष्ट करने में अमृत समान होती हैं,पर क्योंकि यह राक्षस के मुख से होकर गिरी हैं, इसलिए इनमें तेज गंध है और ये अपवित्र हैं, जिन्हें कभी भी भगवान के भोग में इस्तमाल नहीं किया जाता! कहा जाता है कि जो भी प्याज और लहसुन खाता है उनका शरीर राक्षसों के शरीर की भांति मजबूत हो जाता है,लेकिन साथ ही उनकी बुद्धि और सोच-विचार राक्षसों की तरह दूषित भी हो जाते हैं!

9)इनके राजसिक तामसिक गुणों के कारण आयुर्वेद में भी प्याज़-लहसुन खाने की मनाही है! प्राचीन मिस्र के पुरोहित प्याज़-लहसुन नहीं खाते थे! चीन में रहने वाले बौद्ध धर्म के अनुयायी भी प्याज़-लहसुन खाना पसंद नहीं करते!

10) प्याज़-लहसुन खाने के बाद इसका असर रक्त में रहने तक मन में कामवासनात्मक विकार मंडराते रहते हैं! वीर्य की सघनता कम होती है और गतिमानता बढ़ जाने से कामवासना में वृद्धि होती है!
       
     इतने प्रमाण होते हुए भी केवल जीभ के स्वार्थ हेतु प्याज़-लहसुन खाते रहेंगे,तो जड़ बुद्धि कहलाएंगे!इसलिए इनका तुरंत परित्याग करने में ही भलाई है!(घरवाले नहीं मानते,तो उन्हें उपरोक्त बातें समझाएँ)
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रविवार, 2 फ़रवरी 2020

श्री हरि शालिग्राम भगवान

 
        : शालिग्राम: साक्षात् श्री नारायण
एकादशी विशेष
कार्तिक मास का इंतज़ार सनातन धर्म के मानने वालों और भगवान विष्णु, श्री जगन्नाथ और श्री कृष्ण के भक्तों एवं प्रेमियों को बड़ी आतुरता से रहता है।
विशेषतः एकादशी का क्यूंकि इस दिन उनके प्रभु निद्रा से जागते हैं और परम सती भगवती स्वरूपा माँ तुलसी से उनका विवाह होता है।
ये दिन देव प्रबोधिनी/ देवोत्थानी एकादशी के रूप में जन मानस में जाना जाता है।
इसके अगले दिन कार्तिक शुक्ल द्वादशी को तुलसी विवाह होता है जिसमे श्री शालिग्राम और तुलसी का विवाह होता है।
तुलसी विवाह की चर्चा बिना भगवान् नारायण के शालिग्राम स्वरुप का महात्म्य जाने बिना नहीं हो सकती।
भगवान शालिग्राम श्री नारायण का साक्षात् और स्वयंभू स्वरुप माने जाते हैं।
आश्चर्य की बात है की त्रिदेव में से दो भगवान शिव और विष्णु दोनों ने ही जगत के कल्याण के लिए पार्थिव रूप धारण किया।
जिसप्रकार नर्मदा नदी में निकलने वाले पत्थर नर्मदेश्वर या बाण लिंग साक्षात् शिव स्वरुप माने जाते हैं और स्वयंभू होने के कारन उनकी किसी प्रकार प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती।
ठीक उसी प्रकार शालिग्राम भी नेपाल में गंडकी नदी के तल में पाए जाने वाले काले रंग के चिकने, अंडाकार पत्थर को कहते हैं। स्वयंभू होने के कारण इनकी भी प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती और भक्त जन इन्हें घर अथवा मन्दिर में सीधे ही पूज सकते हैं।
शालिग्राम भिन्न भिन्न रूपों में प्राप्त होते हैं कुछ मात्र अंडाकार होते हैं तो कुछ में एक छिद्र होता है तथा पत्थर के अंदर शंख, चक्र, गदा या पद्म खुदे होते हैं। कुछ पत्थरों पर सफेद रंग की गोल धारियां चक्र के समान होती हैं। दुर्लभ रूप से कभी कभी पीताभा युक्त शालिग्राम भी प्राप्त होते हैं।
जानकारों व् संकलन कर्ताओं ने इनके विभिन्न रूपों का अध्यन कर इनकी संख्या 80 से लेकर 124 तक बताई है।
शालिग्राम का स्वरूप वर्गीकरण और महिमा का वर्णन
1. - जिस शालिग्राम-शिला में द्वार-स्थान पर परस्पर सटे हुए दो चक्र हों, जो शुक्ल वर्ण की रेखा से अंकित और शोभा सम्पन्न दिखायी देती हों, उसे भगवान "श्री गदाधर का स्वरूप" समझना चाहिये.
2.- "संकर्षण मूर्ति" में दो सटे हुए चक्र होते हैं, लाल रेखा होती है और उसका पूर्वभाग कुछ मोटा होता है.
3.- "प्रद्युम्न" के स्वरूप में कुछ-कुछ पीलापन होता है और उसमें चक्र का चिह्न सूक्ष्म रहता है.
4. - "अनिरुद्ध की मूर्ति" गोल होती है और उसके भीतरी भाग में गहरा एवं चौड़ा छेद होता है; इसके सिवा, वह द्वार भाग में नीलवर्ण और तीन रेखाओं से युक्त भी होती है.
5. - "भगवान नारायण" श्याम वर्ण के होते हैं, उनके मध्य भाग में गदा के आकार की रेखा होती है और उनका नाभि-कमल बहुत ऊँचा होता है.
6. - "भगवान नृसिंह" की मूर्ति में चक्र का स्थूल चिह्न रहता है, उनका वर्ण कपिल होता है तथा वे तीन या पाँच बिन्दुओं से युक्त होते हैं. ब्रह्मचारी के लिये उन्हीं का पूजन विहित है. वे भक्तों की रक्षा करनेवाले हैं.
7. - जिस शालिग्राम-शिला में दो चक्र के चिह्न विषम भाव से स्थित हों, तीन लिंग हों तथा तीन रेखाएँ दिखायी देती हों, वह "वाराह भगवान का स्वरूप" है, उसका वर्ण नील तथा आकार स्थूल होता है.
8.- "कच्छप" की मूर्ति श्याम वर्ण की होती है. उसका आकार पानी की भँवर के समान गोल होता है. उसमें यत्र-तत्र बिन्दुओं के चिह्न देखे जाते हैं तथा उसका पृष्ठ-भाग श्वेत रंग का होता है.
9. - "श्रीधर की मूर्ति" में पाँच रेखाएँ होती हैं,
10.- "वनमाली के स्वरूप" में गदा का चिह्न होता है.
11. - गोल आकृति, मध्यभाग में चक्र का चिह्न तथा नीलवर्ण, यह "वामन मूर्ति" की पहचान है.
12.- जिसमें नाना प्रकार की अनेकों मूर्तियों तथा सर्प-शरीर के चिह्न होते हैं, वह भगवान "अनन्त की" प्रतिमा है.
13. - "दामोदर" की मूर्ति स्थूलकाय एवं नीलवर्ण की होती है. उसके मध्य भाग में चक्र का चिह्न होता है. भगवान दामोदर नील चिह्न से युक्त होकर संकर्षण के द्वारा जगत की रक्षा करते हैं.
14. - जिसका वर्ण लाल है, तथा जो लम्बी-लम्बी रेखा, छिद्र, एक चक्र और कमल आदि से युक्त एवं स्थूल है, उस शालिग्राम को "ब्रह्मा की मूर्ति" समझनी चाहिये.
15. - जिसमें बृहत छिद्र, स्थूल चक्र का चिह्न और कृष्ण वर्ण हो, वह "श्रीकृष्ण का स्वरूप" है. वह बिन्दुयुक्त और बिन्दुशून्य दोनों ही प्रकार का देखा जाता है.
16. - "हयग्रीव मूर्ति" अंकुश के समान आकार वाली और पाँच रेखाओं से युक्त होती है.
17. - "भगवान वैकुण्ठ" कौस्तुभ मणि धारण किये रहते हैं. उनकी मूर्ति बड़ी निर्मल दिखायी देती है. वह एक चक्र से चिह्नित और श्याम वर्ण की होती है.
18. - "मत्स्य भगवान" की मूर्ति बृहत कमल के आकार की होती है. उसका रंग श्वेत होता है तथा उसमें हार की रेखा देखी जाती है.
19.- जिस शाल    भगवान शालिग्राम के यह २४ दिव्य नाम पढ़ने मात्र से होती है अखण्ड पुण्य फल की प्राप्ति और भगवान विष्णु की कृपा।।

भगवान शालिग्राम भगवान विष्णु का ही रूप हैं। नेपाल में गण्डकी नदी से प्राप्त होते हैं और सामान्यतः सभी के घर में नित्य पूजे जाते हैं। कहा जाता है की भगवान शालिग्राम का पंचामृत से अभिषेक करने से सभी प्रकार से समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है किन्तु यदि आप नित्य भगवान शालिग्राम का अभिषेक करने में असमर्थ हैं तो नित्य ही उन्हें तुलसी पत्र अर्पित करें क्योंकि भगवान शालिग्राम को तुलसी पत्र अत्यंत ही प्रिय हैं ध्यान रखें रविवार को तुलसी पत्र तोड़ना निषिद्ध है साथ ही यदि आप भगवान शालिग्राम के निम्नलिखित २४ नाम पढ़ या सुन भी सकें तो अभिषेक करने से भी कई गुना ज्यादा फल प्राप्त होता है। भगवान शालिग्राम के यह २४ नाम साल में आने वाली २४ एकादशी से सम्बंधित हैं अतः यदि रोज न संभव हो पाए तो एकादशी के दिन तो इन नामों को अवश्य ही पढ़ना चाहिए। नाम इस प्रकार हैं :-

केशवशालिग्राम
मधुसुदन शालिग्राम
संकर्षणशालिग्राम
दामोदर शालिग्राम
बासुदेवशालिग्राम
प्रध्युम्न शालिग्राम
विष्णुशालिग्राम
माधवशालिग्राम
अनन्त मूर्ति शालिग्राम
पुर्षोत्तम शालिग्राम
अधोक्षज शालिग्राम
जनार्दन शालिग्राम
गोविन्द शालिग्राम
त्रिविक्रम शालिग्राम
श्रीधर शालिग्राम
ऋषिकेश शालिग्राम
नृसिंहशालिग्राम
विश्व योनीशालिग्राम
वामनशालिग्राम
नारायण शालिग्राम
पुण्डरीकाक्षशालिग्राम
उपेन्द्र शालिग्राम
श्री हरि शालिग्राम
भगवान कृष्णशालिग्राम

जिवन संगिनी - धर्म पत्नी की विदाई

  *कृपया बिना रोए पढ़ें।  यह मेसेज मेरे दिल को छू गया है* जिवन संगिनी - धर्म पत्नी की विदाई  अगर पत्नी है तो दुनिया में सब कुछ है।  राजा की ...