: शालिग्राम: साक्षात् श्री नारायण
एकादशी विशेष
कार्तिक मास का इंतज़ार सनातन धर्म के मानने वालों और भगवान विष्णु, श्री जगन्नाथ और श्री कृष्ण के भक्तों एवं प्रेमियों को बड़ी आतुरता से रहता है।
विशेषतः एकादशी का क्यूंकि इस दिन उनके प्रभु निद्रा से जागते हैं और परम सती भगवती स्वरूपा माँ तुलसी से उनका विवाह होता है।
ये दिन देव प्रबोधिनी/ देवोत्थानी एकादशी के रूप में जन मानस में जाना जाता है।
इसके अगले दिन कार्तिक शुक्ल द्वादशी को तुलसी विवाह होता है जिसमे श्री शालिग्राम और तुलसी का विवाह होता है।
तुलसी विवाह की चर्चा बिना भगवान् नारायण के शालिग्राम स्वरुप का महात्म्य जाने बिना नहीं हो सकती।
भगवान शालिग्राम श्री नारायण का साक्षात् और स्वयंभू स्वरुप माने जाते हैं।
आश्चर्य की बात है की त्रिदेव में से दो भगवान शिव और विष्णु दोनों ने ही जगत के कल्याण के लिए पार्थिव रूप धारण किया।
जिसप्रकार नर्मदा नदी में निकलने वाले पत्थर नर्मदेश्वर या बाण लिंग साक्षात् शिव स्वरुप माने जाते हैं और स्वयंभू होने के कारन उनकी किसी प्रकार प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती।
ठीक उसी प्रकार शालिग्राम भी नेपाल में गंडकी नदी के तल में पाए जाने वाले काले रंग के चिकने, अंडाकार पत्थर को कहते हैं। स्वयंभू होने के कारण इनकी भी प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती और भक्त जन इन्हें घर अथवा मन्दिर में सीधे ही पूज सकते हैं।
शालिग्राम भिन्न भिन्न रूपों में प्राप्त होते हैं कुछ मात्र अंडाकार होते हैं तो कुछ में एक छिद्र होता है तथा पत्थर के अंदर शंख, चक्र, गदा या पद्म खुदे होते हैं। कुछ पत्थरों पर सफेद रंग की गोल धारियां चक्र के समान होती हैं। दुर्लभ रूप से कभी कभी पीताभा युक्त शालिग्राम भी प्राप्त होते हैं।
जानकारों व् संकलन कर्ताओं ने इनके विभिन्न रूपों का अध्यन कर इनकी संख्या 80 से लेकर 124 तक बताई है।
शालिग्राम का स्वरूप वर्गीकरण और महिमा का वर्णन
1. - जिस शालिग्राम-शिला में द्वार-स्थान पर परस्पर सटे हुए दो चक्र हों, जो शुक्ल वर्ण की रेखा से अंकित और शोभा सम्पन्न दिखायी देती हों, उसे भगवान "श्री गदाधर का स्वरूप" समझना चाहिये.
2.- "संकर्षण मूर्ति" में दो सटे हुए चक्र होते हैं, लाल रेखा होती है और उसका पूर्वभाग कुछ मोटा होता है.
3.- "प्रद्युम्न" के स्वरूप में कुछ-कुछ पीलापन होता है और उसमें चक्र का चिह्न सूक्ष्म रहता है.
4. - "अनिरुद्ध की मूर्ति" गोल होती है और उसके भीतरी भाग में गहरा एवं चौड़ा छेद होता है; इसके सिवा, वह द्वार भाग में नीलवर्ण और तीन रेखाओं से युक्त भी होती है.
5. - "भगवान नारायण" श्याम वर्ण के होते हैं, उनके मध्य भाग में गदा के आकार की रेखा होती है और उनका नाभि-कमल बहुत ऊँचा होता है.
6. - "भगवान नृसिंह" की मूर्ति में चक्र का स्थूल चिह्न रहता है, उनका वर्ण कपिल होता है तथा वे तीन या पाँच बिन्दुओं से युक्त होते हैं. ब्रह्मचारी के लिये उन्हीं का पूजन विहित है. वे भक्तों की रक्षा करनेवाले हैं.
7. - जिस शालिग्राम-शिला में दो चक्र के चिह्न विषम भाव से स्थित हों, तीन लिंग हों तथा तीन रेखाएँ दिखायी देती हों, वह "वाराह भगवान का स्वरूप" है, उसका वर्ण नील तथा आकार स्थूल होता है.
8.- "कच्छप" की मूर्ति श्याम वर्ण की होती है. उसका आकार पानी की भँवर के समान गोल होता है. उसमें यत्र-तत्र बिन्दुओं के चिह्न देखे जाते हैं तथा उसका पृष्ठ-भाग श्वेत रंग का होता है.
9. - "श्रीधर की मूर्ति" में पाँच रेखाएँ होती हैं,
10.- "वनमाली के स्वरूप" में गदा का चिह्न होता है.
11. - गोल आकृति, मध्यभाग में चक्र का चिह्न तथा नीलवर्ण, यह "वामन मूर्ति" की पहचान है.
12.- जिसमें नाना प्रकार की अनेकों मूर्तियों तथा सर्प-शरीर के चिह्न होते हैं, वह भगवान "अनन्त की" प्रतिमा है.
13. - "दामोदर" की मूर्ति स्थूलकाय एवं नीलवर्ण की होती है. उसके मध्य भाग में चक्र का चिह्न होता है. भगवान दामोदर नील चिह्न से युक्त होकर संकर्षण के द्वारा जगत की रक्षा करते हैं.
14. - जिसका वर्ण लाल है, तथा जो लम्बी-लम्बी रेखा, छिद्र, एक चक्र और कमल आदि से युक्त एवं स्थूल है, उस शालिग्राम को "ब्रह्मा की मूर्ति" समझनी चाहिये.
15. - जिसमें बृहत छिद्र, स्थूल चक्र का चिह्न और कृष्ण वर्ण हो, वह "श्रीकृष्ण का स्वरूप" है. वह बिन्दुयुक्त और बिन्दुशून्य दोनों ही प्रकार का देखा जाता है.
16. - "हयग्रीव मूर्ति" अंकुश के समान आकार वाली और पाँच रेखाओं से युक्त होती है.
17. - "भगवान वैकुण्ठ" कौस्तुभ मणि धारण किये रहते हैं. उनकी मूर्ति बड़ी निर्मल दिखायी देती है. वह एक चक्र से चिह्नित और श्याम वर्ण की होती है.
18. - "मत्स्य भगवान" की मूर्ति बृहत कमल के आकार की होती है. उसका रंग श्वेत होता है तथा उसमें हार की रेखा देखी जाती है.
19.- जिस शाल भगवान शालिग्राम के यह २४ दिव्य नाम पढ़ने मात्र से होती है अखण्ड पुण्य फल की प्राप्ति और भगवान विष्णु की कृपा।।
भगवान शालिग्राम भगवान विष्णु का ही रूप हैं। नेपाल में गण्डकी नदी से प्राप्त होते हैं और सामान्यतः सभी के घर में नित्य पूजे जाते हैं। कहा जाता है की भगवान शालिग्राम का पंचामृत से अभिषेक करने से सभी प्रकार से समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है किन्तु यदि आप नित्य भगवान शालिग्राम का अभिषेक करने में असमर्थ हैं तो नित्य ही उन्हें तुलसी पत्र अर्पित करें क्योंकि भगवान शालिग्राम को तुलसी पत्र अत्यंत ही प्रिय हैं ध्यान रखें रविवार को तुलसी पत्र तोड़ना निषिद्ध है साथ ही यदि आप भगवान शालिग्राम के निम्नलिखित २४ नाम पढ़ या सुन भी सकें तो अभिषेक करने से भी कई गुना ज्यादा फल प्राप्त होता है। भगवान शालिग्राम के यह २४ नाम साल में आने वाली २४ एकादशी से सम्बंधित हैं अतः यदि रोज न संभव हो पाए तो एकादशी के दिन तो इन नामों को अवश्य ही पढ़ना चाहिए। नाम इस प्रकार हैं :-
केशवशालिग्राम
मधुसुदन शालिग्राम
संकर्षणशालिग्राम
दामोदर शालिग्राम
बासुदेवशालिग्राम
प्रध्युम्न शालिग्राम
विष्णुशालिग्राम
माधवशालिग्राम
अनन्त मूर्ति शालिग्राम
पुर्षोत्तम शालिग्राम
अधोक्षज शालिग्राम
जनार्दन शालिग्राम
गोविन्द शालिग्राम
त्रिविक्रम शालिग्राम
श्रीधर शालिग्राम
ऋषिकेश शालिग्राम
नृसिंहशालिग्राम
विश्व योनीशालिग्राम
वामनशालिग्राम
नारायण शालिग्राम
पुण्डरीकाक्षशालिग्राम
उपेन्द्र शालिग्राम
श्री हरि शालिग्राम
भगवान कृष्णशालिग्राम
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